आचार्य महाश्रमण के जन्मोत्सव, दीक्षोत्सव एवं आठवा
पदाभिषेक समारोह “आचार्य महाश्रमण अभिवंदना समारोह ” के रूप में 07 मई ,2017 को जैन भवन में आचार्य श्री
महाश्रमण की आज्ञानुव्रती शिष्या समणी संबोधप्रज्ञा एवं समणी गुरुप्रज्ञा के सान्निध्य
में मनाया गया | कार्यक्रम की शुरुआत
नमस्कार महामंत्र एवं महाश्रमण अष्टकम समणी संबोंधप्रज्ञा जी के मुखराविंद से हुई
| ज्ञानशाला के विद्यार्थियों ने बहुत ही अच्छी प्रस्तुति दी, जिसमे से एक
प्रस्तुति English में भी थी , जिसे सभी ने ॐ अर्हम कर बच्चों की होसला अफजाई की |
तेरापंथ महिला मंडल, श्रीमती प्रीति डाकलिया एवं समणी गुरुप्रज्ञा ने अपनी सुमुधुर
आवाज गीतिका गाकर में गुरुदेव के प्रति वर्धापना अर्पित की |
समणी संबोंध
प्रज्ञाजी ने ने अपने हृदयोद्गार
वक्तव्य करते हुए कहा – जिनकी
एक मुस्कान सारी थकावट दूर कर देती है, जिनकी पवित्र वाणी जन-जन को ऊर्जावान बना देती है । जिनकी
साधना है व्यक्ति पर अमिट प्रभाव की रेखा अंकित कर देती है । जिनका प्रखर पराक्रम
प्राणवक्ता का संचार कर देता है । जिनका पुनीत आभामंडल आसपास को सहज ही अनुप्राणित
कर देता है, ऐसे है तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता आचार्य श्री
महाश्रमण जी । चिन्मय चेतन की मुस्कान के साथ जो मुस्कुराता है, उसका नाम है – आचार्य
महाश्रमण जी ।जिन्दगी के हर
अंधरे मोड़ पर ज्योति प्रज्वलित कर पंथ दिखाता है उसका नाम है आचार्य महाश्रमण जी ।
थके कदमों में अभिनव उत्साह का संचार कर अंगुली थाम कर चलता है, वह है आचार्य महाश्रमण जी । मानसिक उद्वेलन के भंवर
में फंसी जीवन किश्ती को आनंद के किनारे ले जाता है वह है आचार्य श्री महाश्रमण ।
माँ नेमा का बाल, दुगड़ कुल का भाल
आज तेरापंथ का भाल बन कर चमक रहा है । ऐसे व्यक्तित्व विरल होते है जो अपने
व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व के आधार पर नेतृत्व के सर्वोच्च शिखर पर पहुँच जाते है, उन विरल व्यक्तियों में एक नाम है आचार्य महाश्रमण
। आचार्य श्री महाश्रमण जी तेरापंथ धर्मसंघ की कमनीय अनुपमेय कृति है जिन्हें
आचार्य तुलसी ने तराशा एवं आचार्य महाप्रज्ञ ने तेरापंथ का कोहिनूर बना दिया ।
तेरापंथ के कोहिनूर आचार्य महाश्रमण जी आज पूरे धर्मसंघ को ही नहीं मानव – जाती
को आभामंडित कर रहे है ।
वक्ताओं में पुष्पा नाहटा, ओम पुगलिया , भोजराज जैन ,
सुरेंद्र कोठारी , श्रीमती शायर बांठिया , रुपेश सुराना ने अपने गुरु के प्रति भावाभिव्यक्ति
दी |
विशेष अतिथि के रूप में आंचलिक अध्यक्ष भोजराज जी जैन ,
हनुमानगढ़ तेरापंथी सभा के अध्यक्ष सुरेन्द्र जी कोठारी, ढाबा सभा के अध्यक्ष रतन
लाल जी नोलखा भी उपस्थित थे | कार्यक्रम का संचालन सुशीला नाहटा एवं सतीश पुगलिया
ने किया |
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