Pilibanga : महायशस्वी
महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण की आज्ञानुवर्ती सुशिष्या साध्वी श्री जयप्रभा जी के सानिध्य में बाल संस्कार निर्माण का द्विदिवसीय शिविर का
आयोजन किया गया | शिविर में लगभग 30 बच्चो ने बड़े उत्साह के साथ भाग लिया | “ बच्चे भगवान के प्रतिरूप होते है उनका जीवन कोरे कागज के
समान होता है | उनका ह्रदय सहज सरल होता है | बच्चे अनुकरण प्रिये होते है , इसलिए
उनके सद्संस्कारो से संस्कारित करने का दायित्व सर्वप्रथम माँ का होता है |माँ में
सेवाभावना, आत्मीयता , वत्सलता, बलिदान
करने की क्षमता ऐसी अनेक विशेषताए होती है , बच्चा माँ के आसपास रहता हुआ इन
सब सदगुणों को अपनाता है | ज्ञानशाला संस्कार निर्माण की महत्वपूर्ण उपक्रम है |
इसमें ज्ञानार्जन करने वाला व्यक्ति अपने जीवन का निर्माण कर देश , समाज व राष्ट्र
में एक आदर्श उपस्थित कर सकता है |” - ये उदगार साध्वी श्रीजयप्रभा जी ने शिविर में
बच्चों को मंगल उदबोधन में फरमाए | साध्वी कान्तप्रभाजी एवं साध्वी रोहितप्रभाजी
ने बच्चों को ज्ञानवर्धक बातें व प्राणायाम ध्वनि, स्मृति विकास के अनेक प्रयोग
बतायें | प्रशिक्षिका स्नेहा पटावरी, प्रेम पुगलिया, महिमा नोलखा का पूरा –पूरा
सहयोग रहा | बच्चों को विभिन्न प्रकार के गेम खिलाकर बच्चों का प्रोत्साहन स्वरूप
पारितोषिक प्रदान किया | कन्यामंडल, देवेन्द्र बांठिया , सतीश पुगलिया का भी भरपूर
सहयोग रहा |
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