आचार्य ने कहा प्रत्येक व्यक्ति को अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान में विभिन्न देवी-देवताओं के चित्रों के साथ नैतिकता रूपी देवी का एवं घरों में अहिंसा रूपी देवी का चित्र अपने दिमाग व व्यवहार में रखकर ही कर्म करने चाहिए। अच्छे कर्म करने से ही आत्मा की शुद्धि होती है। इस अवसर पर आचार्य श्री के स्वागत में मुनि विजयराज, मुनि निर्मल प्रकाश, मुनि दिनेश कुमार व मुख्य नियोजिका विश्रुत प्रभा ने भी गीतिकाओं के माध्यम से अभिव्यक्तियां दीं।
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