18 जनवरी 2011
रतनगढ़ (जैन तेरापंथ समाचार )
राष्ट्र संत आचार्य महाश्रमण ने कहा की सबमे हर पल चेतना का जागरण रहे ! मर्यादाओं का सम्यक पालन करने वाला ही पूज्य हो सकता है
जीवन में भारिरीक,वाचिक मानसिक व् भावानात्मक अंहिसा का पालन हो . वे गोलच्छा ज्ञान मन्दिर में विशाल धर्म सभा को ध्यान चेतना के जागरण के सन्दर्भ
में व्यख्यान दे रहे थे. उन्होंने कहा की आज चतुर्वेदी है. इस तिथि को धर्म तिथि की प्रतिष्ठा प्राप्त है ! इस तिथि पर हाजरी साधुओ के आचार का एक विधान है .समिति , गुप्ती , व् महाव्रतो के 13 नियमो का पालन करने वाला ही सच्चा साधू है. उन्होंने तेरापंथ परम्परा के अनुशार आचार्य भिक्षु की मर्यादाओं को विस्तार से बताते हुए कहा की एक आचार एक विचार व् एक परु पणा इसकी ख़ास विशेषता है !
आचार्य महाश्रमण ने पूर्वांचल यात्रा का संकेत देते हुए संघ के सामने प्रस्ताव रखा की लम्बी यात्रा करनी चाहिए या क्या करना चाहिए ? पूरा संघ उक्त विषय पर दो सप्ताह में अपनी राय दे ?
गोलच्छा ज्ञान मन्दिर के प्रागण में बड़ी हाजरी का कार्यक्रम रखा जिसमे 400 साधू साध्वी व् समण- समणी ने पक्तीबद्ध खड़े होकर अपने आचार्य के समक्ष अपने संकल्प को फिर दौराया ! सभी ने ॐ अर्हम की ध्वनी से आवाहन किया ! प्रवचन में सबसे पहले साध्वी पुनाजी (सुजानगढ़ ) साध्वी मानकुमारिजी (राजल देसर ) साध्वी बिदामा जी (खिवाड़ा) स्वर्गाराहण की स्मृति में लोगस का ध्यान किया गया !
रतनगढ़ (जैन तेरापंथ समाचार )
राष्ट्र संत आचार्य महाश्रमण ने कहा की सबमे हर पल चेतना का जागरण रहे ! मर्यादाओं का सम्यक पालन करने वाला ही पूज्य हो सकता है
जीवन में भारिरीक,वाचिक मानसिक व् भावानात्मक अंहिसा का पालन हो . वे गोलच्छा ज्ञान मन्दिर में विशाल धर्म सभा को ध्यान चेतना के जागरण के सन्दर्भ
में व्यख्यान दे रहे थे. उन्होंने कहा की आज चतुर्वेदी है. इस तिथि को धर्म तिथि की प्रतिष्ठा प्राप्त है ! इस तिथि पर हाजरी साधुओ के आचार का एक विधान है .समिति , गुप्ती , व् महाव्रतो के 13 नियमो का पालन करने वाला ही सच्चा साधू है. उन्होंने तेरापंथ परम्परा के अनुशार आचार्य भिक्षु की मर्यादाओं को विस्तार से बताते हुए कहा की एक आचार एक विचार व् एक परु पणा इसकी ख़ास विशेषता है !
आचार्य महाश्रमण ने पूर्वांचल यात्रा का संकेत देते हुए संघ के सामने प्रस्ताव रखा की लम्बी यात्रा करनी चाहिए या क्या करना चाहिए ? पूरा संघ उक्त विषय पर दो सप्ताह में अपनी राय दे ?
गोलच्छा ज्ञान मन्दिर के प्रागण में बड़ी हाजरी का कार्यक्रम रखा जिसमे 400 साधू साध्वी व् समण- समणी ने पक्तीबद्ध खड़े होकर अपने आचार्य के समक्ष अपने संकल्प को फिर दौराया ! सभी ने ॐ अर्हम की ध्वनी से आवाहन किया ! प्रवचन में सबसे पहले साध्वी पुनाजी (सुजानगढ़ ) साध्वी मानकुमारिजी (राजल देसर ) साध्वी बिदामा जी (खिवाड़ा) स्वर्गाराहण की स्मृति में लोगस का ध्यान किया गया !
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